भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश की कुल जनसंख्या में से लगभग 6-7 प्रतिशत लोग मानसिक बीमारियों सेग्रस्त हैं और इनमें से एक फीसदी गंभीर मानसिक बीमारियों के शिकार हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत मेंसाढ़ें तीन लाख लोगों पर 3500 मनोचिकित्सक है। जबकि अमेरिका में 12837 लोगों के लिए एक मनोचिकित्सक है।
जून 2013 में सरकार ने मेंटल हेल्थ केयर बिल, 2012 को पारित किया। इस बिल के पारित होने से मानसिकरोगियों को सही इलाज का अधिकार दिया गया है, साथ ही आत्महत्या जैसे कृत्य को आपराधिक श्रेणी से हटाने कीबात भी इस बिल के माध्यम से कही गई है। इस बिल में रोगियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने का पूरा प्रयास कियागया है और वहीं रोगियों के लिए इलाज के विकल्पों को बढ़ाने की बात भी कही गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मेंटल हेल्थ ऐटलस के मुताबिक भारत के जन स्वास्थ्य प्रणाली और मानसिक स्वास्थ्य परसरकार स्वास्थ्य बजट का 0.06% खर्च करती है। अमेरिका जीडीपी का 6.2% मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करता है।इंग्लैंड 10.82% मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च करता है। यहां तक कि बांग्लादेश भी भारत से अधिक 0.44% खर्च करताहै।
विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार तेजी से बढ़ती आबादी, औद्योगिकरण, बदलती जीवनशैली के कारण मानसिक रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इनमें सेबहुतों को यह पता नही की उन्हें कोई रोग भी है।
भारत में तेजी से पनप रहे मानसिक रोगों में से निम्नलिखित महत्वपूर्ण रोगों का परिचय आप को दे रहे हैं।
ऑब्सेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर : यह भी एक प्रकार का मनोरोग है। कारण- भाग-दौड़ भरी तनाव पूर्ण जीवनशैली, चिंता,अति मानसिक श्रम, महात्वाकांक्षा, केकारण यह बीमारी हो सकती है।
लक्षण :
– कीटाणुओं, गंदगी आदि के संपर्क में आने या दूसरों को दूषित कर देने का डर।
– सेक्स संबंधी बुरे या हिंसक ख्याल आना।
– किसी एक काम को लेकर धुन सवार होना।
– साफ-सफाई में ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना
– एक ही वस्तु को बार बार साफ़ करना
– एक ही काम को बार बार करना
बाइपोलर डिसऑर्डर : इस मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति एक्सट्रीम पर चला जाता है। इसे साइकोथैरेपी से ठीक किया जा सकता है। यह बीमारी बच्चों औरमहिलाओं को काफी होती है।
लक्षण :
– पीड़ित कभी बेहद डिप्रेशन में दिखता है।
– कभी अचानक उत्तेजित भी हो जाता है।
– कभी कभी ज्यादा आत्मविश्वासी होना, जोखिम लेना या बहुत अधिक बोलना।
– अचानक अति विश्वास वाले कार्य करने लगता है ।
अवसाद(डिप्रेशन) : अवसाद भारत की बेहद आम मानसिक बीमारी है। जानकारी के अभाव में, जन सामान्य इस बीमारी के विषय में डॉक्टर से सलाह नहीं लेते हैं।हालांकि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में हर तिन चार महीने में कुछ दिन ऐसे आते है जब व्यक्ति अपने आप को “मन को कुछ अच्छा नहीं लग रहा है कहता है” किन्तुइस स्थिति से दो चार दिनों में बाहर आना बतलाता है कि उस व्यक्ति का तनाव प्रबंधन उचित दिशा में कार्य कर रहा है। किन्तु यदि यहि मानसिक स्थिति ज्यादादिनों तक रही या बार बार इसी तरह के मूड स्विंग होता रहा तो अवसाद से प्रभावित व्यक्ति धिरे-धिरे समाज की मुख्यधारा से बाहर हो जाता है और उपेक्षितमहसूस करने लगता है।
लक्षण :
– व्यक्ति ऊर्जावान नहीं रहता ।
– थकान जल्दी होती है।
– अकसर दुखी या चिंतित मुद्रा में दिखाई देता हैं।
– आनंद देने वाली गतिविधियों में भी रुचि कम होने लगती है।
– बिना किसी कारण के अकड़न, शरीर में दर्द होना।
– सामाजिक गतिविधियों या सामान्य काम -काज करने में भी परेशानी होने लगती है।
साइकोसिस: साइकोसिस बीमारी में व्यक्ति असामान्य व्यवहार करने लगता है। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे व्यवहार पर जल्द डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है।
लक्षण :
– साइकोसिस से पीड़ित व्यक्ति कभी भी कुछ भी बोलने लगता है।
– कभी असामान्य कपड़े पहन लेता है, तो कभी खुद को सबसे छुपाकर रखता है।
– ज्यादातर भ्रम की स्थिति में रहता है।
– रोगी कोअकसर ऐसी चीजें सुनाई या दिखाई देती हैं, जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता।
अल्जाइमर: अल्जाइमर, जिसे हम भूलने की बीमारी कहते हैं। अकसर बुजुर्गों को होती है। इस बीमारी में पीड़ित के घर वालों को धीरज से काम लेना चाहिए।
लक्षण :
– भूलने की आदत बढ़ती जाती है।
– काम करने की गति भी बेहद धीमी या कम हो जाती है।
– रोगी निर्णय नहीं ले पाता।
– रोगी को बोलने में परेशानी होती है।
एल्कोहल एब्युज : जिस व्यक्ति को शराब की लत लग जाती है, उसे भी मानसिक रोग पीड़ित माना जाता है। इसके साथ ही अन्य प्रकार के नशा करने वाले भीमानसिकरोग पीड़ितों की श्रेणी में आते हैं।
लक्षण :
– शराबी व्यक्ति को नशे में अकसर चोट लग जाती है।
– शराबी व्यक्ति को अनिद्रा, थकान, अरुचि जैसी शिकायत होती है।
– इसके साथ ही उसे अपच, उबके आना और दस्त की शिकायत भी होती है।
उपचार-
इन बीमारियों से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर की दवाई और काउंसिलिंग के साथ-साथ परिवार का अनकंडीशनल सहायोग बेहद जरूरी है।
– अकसर ऐसी बीमारी से पीड़ित लोगों को परिवार में उपेक्षित कर दिया जाता है, जिससे यह बीमारी और बढ़ जाती है।
– परिवार के सदस्यों को चाहिए कि थोड़ा अतिरिक्त समय और ध्यान इन बीमारी से पीड़ित लोगों को दें, ताकि वे फिर से सामान्य हो सकें। – जल्द से जल्दमनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक से संपर्क करें।
– मनोचिकित्सक दवाइयों के जरिए बीमारी ठीक करेगा, वहीं मनोवैज्ञानिक
काउंसिलिंग के जरिए मानसिक स्थिति को सामान्य कर मरीज़ का आत्मबल बढ़ायेगा, जिससे रोगी अपनी परिस्थितियों से सामन्जस्य बैठा सके।
– पीड़ित का मजाक न उड़ाएं।
– मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को उचित सम्मान दें।
– कार्यक्षेत्र में भी सम्मानित दृष्टि से देखा जाए।
उचित मानसिक स्वास्थ्य(मेंटल हाइजिन)-
अभी तक हमने मानसिक रोगों और समस्याओं के बारे में बात की है। परन्तु उचित मेंटल हाइजिन भी स्वास्थ्य का अतिआवश्यक पहलू है, हम सबको अपनामानसिक स्वास्थ्य बनाए चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य ठीक रख पाने में दूसरों की मदद करनी चाहिए।
अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। रोज़ कसरत करना, सैर करना और खेलना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।टीम वाले खेल सबसे ज़्यादा अच्छे होते हैंक्योंकि इनसे दिमाग में गलत विचार नहीं आते।योगासनो से मदद मिलती है और योगा ज़रूर करना चाहिए।सार्थक काम करने और काम में संतुष्टी होने से भीमानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।हमें अपने बारे में ध्यान से सोच कर अपने स्वाभाव को समझना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए। किताबों औरदोस्तों से भी मदद ली जा सकती है।धर्म के बुनियादी सिद्धांत के पालन से भी मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे जीवन के दु:खों और मुश्किलों से निपटने मेंमदद मिलती है। जब भी अवसर मिले लोगों के साथ मिलने घुलने की कोशिश करें।
इन्हें शायद सहायता की ज़रूरत है-
जिन लोगों को मनोचिकित्सा की ज़रूरत होती है, उनकी सूची नीचे दी गई है।
जो कि बेसिरपैर की बातें करता हो और अजीबोगरीब और असामान्य व्यवहार करता हो।
जो बहुत चुप हो गया हो और औरों से मिलना जुलना और बात करना छोड़ दे।
अगर कोई ऐसी बातें सुनने या ऐसी चीज़ें देखने का दावा करे जो औरों को न सुनाई / दिखाई दे रही हों।
अगर कोई बहुत ही शक्की हो और वह हमेशा यह शिकायत करता रहे कि दूसरे लोग उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर कोई ज़रूरत से ज़्यादा खुश रहने लगे, हमेशा चुटकुले सुनाता रहे या कहे कि वह बहुत अमीर है या औरों से बहुत बेहतर है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं हो।
अगर कोई बहुत दु:खी रहने लगे और बिना मतलब रोता रहे।
अगर कोई आत्महत्या की बातें करता रहे या उसने आत्महत्या की कोशिश की हो।
अगर कोई कहे कि उसमें भगवान या कोई आत्मा समा गई है या अगर कोई कहता रहे कि उसके ऊपर जादू टोना किया जा रहा है या कोई बुरी छाया है।
अगर किसी को दौरे पड़ते हों और उसे बेहोशी आ जाती हो और वो बेहोशी में गिर जाता हो।
अगर कोई बहुत ही निष्क्रिय रहता हो, बचपन से ही धीमा हो और अपनी उम्र के हिसाब से विकसित न हुआ हो।
होम्योपैथी
होम्योपैथी मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए बहुत उपयोगी है। इसलिए आपको जहॉं भी ज़रूरी हो होम्योपैथी का इस्तेमाल करना चाहिए इस हेतु योग्यहोम्योपैथिक चिकित्सक से रोगी के बारे में परामर्श करना चाहिए ।